दिल्ली राजधानी क्षेत्र में भारी प्रदूषण के चलते सांस लेने में परेशानी का सामना कारण पड़ रहा है। पूरे इलाके में धुंध छाई हुई है। दिल्ली के कई इलाके ऐसे हैं जहां दिन में हैडलाइट जलाकर गाड़ियां चल रही हैं। दफ्तर जाने से लेकर स्कूल जाने वाले लोगों को बड़ी मुश्किल हो रही है। घर से बाहर निकलने पर आंखों में मिर्ची जैसी जलन होती है। सांस लेने पर अजीब सी बेचैनी का सामना करना पड़ रहा है।
वैसे यह पहली बार नहीं है जब देश की राजधानी प्रदूषण का दंश झेल रही है। बीते दशकों से दिल्ली राजधानी क्षेत्र का यही हाल रहा है। कभी पराली को दोष दिया जाता है तो कभी गाड़ियों को तो दिवाली के मौके पर पटाखों को यह बताकर बैन कर दिया जाता है कि इससे वायु प्रदूषण होता हैं लेकिन शायद इसकी कई और भी वजहें हैं।
इस समय वायु गुणवत्ता की करें तो दिल्ली के कई इलाकों में AQI 400 से पार जा चुका है। यह ऐसी स्थिति है जब राजधानी दुनिया की सबसे प्रदूषित शहरों में से एक है।
अनियंत्रित प्रदूषण के चलते केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अलर्ट के बाद वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने आपात बैठक कर एनसीआर में ग्रेड रिस्पांस एक्शन प्लान के तीसरे चरण को लागू कर दिया है।
इसके तहत पांच लाख कारों पर प्रतिबंध लगाया गया है। और अब स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई होगी। इसके अलावा निर्माण कार्यों पर भी प्रतिबंध लगाए जाने की खबरें हैं।
इन सबके बावजूद क्या दिल्ली में प्रदूषण पर नियंत्रण हो पाएगा? क्या दिल्ली गैस चैंबर से उबर पाएगी? यह बड़ा सवाल है। हालत ऐसे रहे तो आने वाले दिनों में दिल्ली में जीवन की कल्पना करना भी बेमानी होगी।


