जानिये क्या है इंटरटेनमेंट टैक्स? भारत में इसका महत्व

मनोरंजन हमारे जीवन का एक अभिन्न हिस्सा है। यह हमें तनाव से मुक्ति दिलाता है, ताजगी प्रदान करता है और सामाजिक मेलजोल को बढ़ावा देता है। सिनेमा देखना, खेलकूद में भाग लेना, थीम पार्कों में घूमना या किसी सांस्कृतिक कार्यक्रम का आनंद लेना, यह सभी मनोरंजन की विभिन्न श्रेणियां हैं। इन सभी गतिविधियों पर सरकार द्वारा लगाया जाने वाला कर ही इंटरटेनमेंट टैक्स कहलाता है।

मनोरंजन कर का अर्थ

इंटरटेनमेंट टैक्स, जिसे कभी-कभी “मनोरंजन शुल्क” भी कहा जाता है, किसी भी प्रकार के वाणिज्यिक मनोरंजन पर लगाया जाने वाला कर है। इसमें चलचित्रों (मूवी टिकट), प्रदर्शनियाँ, खेल आयोजन, संगीत कार्यक्रम, नाट्यशालाएँ, एम्यूजमेंट पार्क, वाटर पार्क और अन्य व्यावसायिक मनोरंजन गतिविधियाँ शामिल हो सकती हैं। कर की दर और कर छूट जैसे विशिष्ट नियम स्थानीय अधिकारियों (जैसे राज्य सरकार) के अधीन होते हैं, जैसा कि उनका संग्रह है।

सरल शब्दों में, जब आप किसी फिल्म का टिकट खरीदते हैं, किसी खेल मैच में प्रवेश करते हैं, या किसी मनोरंजन पार्क में जाते हैं, तो टिकट की कीमत में एक हिस्सा इंटरटेनमेंट टैक्स के रूप में सरकार को जाता है। यह कर सरकार के राजस्व का एक स्रोत होता है और इसका उपयोग सार्वजनिक सेवाओं और विकास कार्यों के लिए किया जाता है।

भारत में इंटरटेनमेंट टैक्स का इतिहास

भारत में इंटरटेनमेंट टैक्स का इतिहास काफी पुराना है। स्वतंत्रता के बाद से ही विभिन्न राज्य सरकारें अपने-अपने स्तर पर मनोरंजन कर लगाती रही हैं। इस कर की दरें राज्यों में अलग-अलग थीं, जिसके कारण पूरे देश में मनोरंजन की लागत में भिन्नता पाई जाती थी। कुछ राज्यों में मनोरंजन कर बहुत अधिक था, जिसका नकारात्मक प्रभाव मनोरंजन उद्योग और उपभोक्ताओं दोनों पर पड़ता था।

पहले, मूवी टिकटों पर इंटरटेनमेंट टैक्स राज्य सरकारों द्वारा लगाया जाता था, और यह दरें शून्य से लेकर 110 प्रतिशत तक भी हो सकती थीं। उदाहरण के लिए, एक समय में झारखंड में मूवी देखने पर 110% तक का कर देना होता था, जबकि उत्तर प्रदेश में यह दर 60 प्रतिशत थी। वहीं, कुछ राज्य जैसे हिमाचल प्रदेश, पंजाब और जम्मू-कश्मीर में कोई मनोरंजन कर नहीं वसूला जाता था।

वस्तु एवं सेवा कर (GST) का प्रभाव

1 जुलाई, 2017 को भारत में वस्तु एवं सेवा कर (Goods and Services Tax – GST) लागू होने के बाद इंटरटेनमेंट टैक्स की व्यवस्था में एक बड़ा बदलाव आया। GST ने केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा लगाए जाने वाले कई अप्रत्यक्ष करों को एक साथ मिला दिया। मनोरंजन कर भी GST में समाहित हो गया।

वर्तमान में, मनोरंजन के लिए GST दरें मुख्य रूप से दो श्रेणियों में आती हैं:

  • 12% GST: यह दर उन मनोरंजन सेवाओं पर लागू होती है जिनकी टिकट की कीमत ₹100 से कम है।
  • 18% GST: यह दर उन मनोरंजन सेवाओं पर लागू होती है जिनकी टिकट की कीमत ₹100 या उससे अधिक है।

GST लागू होने से मनोरंजन कर की दरों में एकरूपता आई है, जिससे उपभोक्ताओं और उद्योग दोनों को लाभ हुआ है। पहले अलग-अलग राज्यों में अत्यधिक भिन्न दरों के कारण भ्रम और जटिलता की स्थिति थी, जो अब काफी हद तक समाप्त हो गई है।

इंटरटेनमेंट टैक्स का महत्व

इंटरटेनमेंट टैक्स सरकार के लिए राजस्व का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। इस कर से प्राप्त धन का उपयोग विभिन्न सार्वजनिक कल्याणकारी योजनाओं और विकास कार्यों के वित्तपोषण के लिए किया जाता है।

इंटरटेनमेंट टैक्स भारत में एक महत्वपूर्ण कर रहा है, जो अब GST के अंतर्गत आ गया है। GST के लागू होने से मनोरंजन कर की दरों में स्थिरता और एकरूपता आई है। यह कर सरकार के राजस्व में योगदान देता है और सार्वजनिक सेवाओं के लिए धन उपलब्ध कराता है। मनोरंजन उद्योग और उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान में रखते हुए कर की दरों का निर्धारण महत्वपूर्ण है ताकि मनोरंजन सभी के लिए सुलभ बना रहे और उद्योग भी विकास करता रहे।

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Author: Nation TV

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