21 जून 2025 की रात अमेरिका ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों पर हमला कर पूरी दुनिया को चौंका दिया। इस हमले में अमेरिका ने उच्च तकनीक वाले बमों और मिसाइलों का उपयोग किया, जिससे ईरान के फोर्डो, नटांज़ और इस्फ़ाहान स्थित परमाणु केंद्रों को गंभीर नुकसान पहुंचा। इस हमले के बाद वैश्विक चिंता का सबसे बड़ा सवाल उठ खड़ा हुआ है—क्या यह तीसरे विश्व युद्ध की शुरुआत हो सकती है?
अमेरिका-ईरान टकराव: सिर्फ दो देशों की लड़ाई नहीं
यह संघर्ष केवल अमेरिका और ईरान के बीच का नहीं है। ईरान के साथ रूस और चीन की रणनीतिक साझेदारी है, जबकि अमेरिका के साथ इज़राइल, ब्रिटेन और नाटो जैसे कई ताकतवर देश खड़े हैं।
अगर ईरान इस हमले का जवाब देता है और अमेरिका की ओर से फिर से प्रतिक्रिया होती है, तो यह संघर्ष अन्य देशों को भी खींच सकता है। यही वह स्थिति है जो विश्व युद्ध जैसी स्थिति को जन्म दे सकती है।
इज़राइल की भूमिका और मध्य-पूर्व की आग
इस हमले में इज़राइल की संभावित भागीदारी पहले से ही ईरान को भड़काने वाली थी। अगर ईरान अमेरिका पर सीधा हमला करता है, तो अमेरिका और उसके सहयोगी सीधे युद्ध में उतर सकते हैं।
साथ ही, ईरान के समर्थन में हिज़्बुल्लाह, यमन के हूती विद्रोही, और सीरिया जैसे गुट शामिल हो सकते हैं। यह संघर्ष पूरे मध्य-पूर्व को युद्धभूमि में बदल सकता है।
परमाणु हथियारों का खतरा
तीसरे विश्व युद्ध की सबसे खतरनाक आशंका परमाणु हथियारों से जुड़ी है। अमेरिका ने बंकर भेदी बमों का इस्तेमाल कर ईरान के परमाणु कार्यक्रम को नुकसान पहुँचाया है। अगर ईरान या उसका कोई सहयोगी देश जवाबी कार्रवाई में बड़े स्तर पर मिसाइल या परमाणु हमले की कोशिश करता है, तो यह संघर्ष महाविनाश की ओर बढ़ सकता है।
वैश्विक राजनीति की प्रतिक्रिया
रूस और चीन ने अमेरिका की कार्रवाई को “गैर-कानूनी” बताया है और संयुक्त राष्ट्र में इसे लेकर आपात बैठक की मांग की है।
यदि चीन या रूस सैन्य रूप से ईरान के पक्ष में आते हैं, तो टकराव और भी गंभीर हो जाएगा।
संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय देशों की ओर से अभी तक शांति की अपीलें हो रही हैं, लेकिन कूटनीति असफल रही तो विश्व युद्ध से इनकार नहीं किया जा सकता।
भारत और एशियाई देशों पर असर
अगर तीसरा विश्व युद्ध छिड़ता है, तो भारत जैसे देशों को आर्थिक, कूटनीतिक और सैन्य चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
- तेल की कीमतें आसमान छू सकती हैं।
- वैश्विक व्यापार रुक सकता है।
- प्रवासी भारतीयों की सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा बन सकता है।
- सीमा पर चीन या पाकिस्तान की गतिविधियाँ भी बढ़ सकती हैं।
हालांकि हालात बहुत तनावपूर्ण हैं, लेकिन यह कहना जल्दबाज़ी होगी कि तीसरा विश्व युद्ध निश्चित है। कूटनीतिक प्रयास जारी हैं और वैश्विक शक्ति संतुलन को बनाए रखने की कोशिशें चल रही हैं। लेकिन अगर हालात बेकाबू हुए, छोटे युद्ध बड़े युद्धों में तब्दील हो सकते हैं।


