भारत सरकार ने शुक्रवार को एक अहम प्रशासनिक फैसले में वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी पराग जैन को देश की विदेशी खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) का नया प्रमुख नियुक्त किया है। पराग जैन मौजूदा चीफ सामंत गोयल की जगह लेंगे, जिनका कार्यकाल पूरा हो रहा है।
केंद्र सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT) द्वारा जारी आदेश में कहा गया कि पराग जैन अगले दो वर्षों तक रॉ के सचिव (R&AW Chief) रहेंगे। उनके पास भारतीय उपमहाद्वीप के सुरक्षा मामलों और अंतरराष्ट्रीय खुफिया नेटवर्क में लंबा अनुभव है। इस वजह से सरकार ने उन्हें इस जिम्मेदारी के लिए उपयुक्त माना है।
कौन हैं पराग जैन?
पराग जैन 1989 बैच के मध्य प्रदेश कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं। उन्होंने अपने करियर में आतंकवाद विरोधी अभियानों, सीमा पार खुफिया अभियानों और साइबर खुफिया जैसे कई संवेदनशील मोर्चों पर काम किया है। माना जाता है कि रॉ में रहते हुए उन्होंने पड़ोसी देशों के भीतर भारत की सुरक्षा के लिए कई महत्वपूर्ण ऑपरेशनों की रणनीति बनाई।
रॉ में अपनी सेवाओं के दौरान पराग जैन को कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में पदस्थ किया गया। विशेषकर पाकिस्तान और अफगानिस्तान की खुफिया गतिविधियों पर नजर रखने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही।
सामंत गोयल का कार्यकाल समाप्त
मौजूदा रॉ प्रमुख सामंत गोयल जून 2019 में रॉ चीफ बनाए गए थे। उनके कार्यकाल में पुलवामा और बालाकोट के बाद पाकिस्तान के खिलाफ खुफिया संचालन, चीन सीमा पर तैनाती, और अफगानिस्तान से अमेरिकी वापसी के बाद की परिस्थितियों को संभालने में रॉ ने अहम भूमिका निभाई। उनकी अगुवाई में एजेंसी ने कई बड़े खुफिया अभियानों को सफलतापूर्वक अंजाम दिया।
नई चुनौतियां
अब पराग जैन को रॉ प्रमुख के तौर पर कई नयी चुनौतियों का सामना करना होगा। इनमें चीन और पाकिस्तान की मिलीभगत, अफगानिस्तान में बदलती परिस्थितियां, म्यांमार में अस्थिरता और मालदीव-श्रीलंका में बढ़ते चीनी प्रभाव शामिल हैं।
इसके अलावा खाड़ी देशों में भारतीय प्रवासियों की सुरक्षा, इस्लामिक स्टेट जैसे आतंकी संगठनों की गतिविधियाँ और पश्चिमी देशों के साथ साइबर व डेटा सुरक्षा सहयोग भी उनकी प्राथमिकताओं में रहेगा।
सरकार का भरोसा
सूत्रों के मुताबिक राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पराग जैन की नियुक्ति के लिए सुझाव दिया था। सरकार को भरोसा है कि उनके नेतृत्व में रॉ आने वाले वर्षों में भारत की सामरिक जरूरतों को और बेहतर ढंग से पूरा करेगा।
भारत की विदेश नीति में खुफिया तंत्र अब केवल सुरक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि आर्थिक व तकनीकी हितों को भी प्रभावित करता है। इस लिहाज से पराग जैन का काम बेहद चुनौतीपूर्ण होगा। उन्हें रॉ के माध्यम से भारत को वैश्विक मंच पर एक सशक्त खुफिया ताकत के रूप में स्थापित करना है।
इस नई नियुक्ति से यह साफ हो गया है कि मोदी सरकार आने वाले समय में सामरिक चुनौतियों से निपटने के लिए बेहद चौकस है और उसने रॉ की कमान ऐसे अनुभवी अधिकारी को दी है, जो भारत के सुरक्षा हितों की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए जाने जाते हैं।


