हर साल 2 जुलाई को दुनियाभर में विश्व यूएफओ दिवस (World UFO Day) मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मकसद है, आसमान में दिखने वाली अजीबोगरीब उड़नतश्तरियों (UFOs – Unidentified Flying Objects) को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाना और वैज्ञानिक नजरिये से इन घटनाओं की पड़ताल को प्रोत्साहन देना।
यूएफओ के रहस्य ने न सिर्फ वैज्ञानिकों को, बल्कि आम जनता को भी सालों से रोमांचित किया है। क्या सच में कोई दूसरी दुनिया है? क्या एलियन हमारे ग्रह पर आते हैं? या फिर ये सब महज भ्रम हैं? विश्व यूएफओ दिवस इन तमाम सवालों पर चर्चा करने और रिसर्च को बढ़ावा देने का मौका देता है।
यूएफओ दिवस क्यों मनाया जाता है?
विश्व यूएफओ दिवस मनाने के पीछे मुख्य उद्देश्य यह है कि लोग आसमान में घटने वाली रहस्यमयी घटनाओं पर नजर रखें और किसी भी असामान्य चीज को रिपोर्ट करें। साथ ही, इससे दुनिया भर के वैज्ञानिकों और सरकारों पर दबाव बनता है कि वे यूएफओ संबंधी जानकारियों को सार्वजनिक करें।
यह दिन ऐसे सभी लोगों को भी जोड़ता है जो मानते हैं कि मानव सभ्यता अकेली नहीं है और कहीं न कहीं इस विशाल ब्रह्मांड में और भी जीवन मौजूद है।
कब से शुरू हुआ विश्व यूएफओ दिवस?
यूएफओ डे मनाने की शुरुआत 2001 में हक्कन अकडोयन (Haktan Akdogan) नामक एक यूएफओ रिसर्चर ने की थी। इसके बाद दुनियाभर में यह दिन दो तरीकों से मनाया जाने लगा –
- 24 जून को भी कई देश यूएफओ डे मनाते हैं, क्योंकि 24 जून 1947 को ही अमेरिकी पायलट केनेथ अर्नॉल्ड ने पहली बार ‘उड़नतश्तरी’ जैसी चीज़ देखने का दावा किया था।
- वहीं, 2 जुलाई को मुख्य रूप से मनाया जाता है, क्योंकि इसी दिन 1947 में अमेरिका के रोज़वेल (Roswell) इलाके में एक संदिग्ध UFO क्रैश की घटना सामने आई थी।
आजकल अधिकतर लोग 2 जुलाई को ही ऑफिशियल वर्ल्ड यूएफओ डे के रूप में मानते हैं।
रोज़वेल की घटना: सबसे चर्चित मामला
विश्व यूएफओ दिवस की चर्चा हो और रोज़वेल हादसे का जिक्र न हो, ऐसा नहीं हो सकता।
1947 में अमेरिका के न्यू मैक्सिको के रोज़वेल शहर के पास एक रहस्यमयी वस्तु गिरने की खबर आई।
- पहले तो अमेरिकी सेना ने कहा कि वह एक ‘फ्लाइंग डिस्क’ थी।
- लेकिन बाद में उन्होंने अपने ही बयान को बदलते हुए इसे “मौसम में निगरानी रखने वाला गुब्बारा (Weather Balloon)” बताया।
इसके बाद से आज तक रोज़वेल की घटना यूएफओ और एलियंस की बहस का सबसे बड़ा सबूत मानी जाती है। हजारों किताबें, डॉक्यूमेंट्री और फिल्में इसी पर बनीं।
भारत में भी यूएफओ की चर्चा
भले ही यूएफओ की घटनाएं ज्यादातर अमेरिका या यूरोप में चर्चा का विषय बनती रही हों, लेकिन भारत भी इससे अछूता नहीं रहा।
- लेह-लद्दाख में 2012 में भारतीय सेना ने अजीब चमकदार उड़ती वस्तु देखी थी।
- राजस्थान के जोधपुर में भी कई लोगों ने आसमान में चमकीली डिस्क जैसी चीज़ उड़ते देखी।
- उत्तराखंड के सीमा क्षेत्रों में तो कई बार रहस्यमयी उड़न वस्तुओं की तस्वीरें तक सामने आईं।
हालांकि भारतीय सरकार या रक्षा एजेंसियों ने इसे लेकर कोई ठोस पुष्टि नहीं की।
यूएफओ और विज्ञान
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो अब तक यूएफओ की ज्यादातर घटनाएं या तो मौसम के कारण हुए ऑप्टिकल इल्यूजन, या मानव निर्मित ड्रोन / उपग्रह निकलते हैं।
फिर भी, वैज्ञानिक यूएफओ रिसर्च को महत्व देते हैं ताकि हम किसी भी संभावित खतरे या बाहरी जीवन की संभावना को अनदेखा न कर दें। नासा समेत कई स्पेस एजेंसियां इस पर रिसर्च करती रहती हैं।
कैसे मनाया जाता है विश्व यूएफओ दिवस?
- कई देशों में इस दिन लोग खुले मैदानों में आसमान को निहारते हैं और टेलीस्कोप से यूएफओ देखने की कोशिश करते हैं।
- कुछ लोग एलियन या यूएफओ थीम पर कपड़े पहनकर परेड भी करते हैं।
- कई संस्थाएं इस दिन सेमिनार, डॉक्यूमेंट्री स्क्रीनिंग और डिबेट आयोजित करती हैं।
- सोशल मीडिया पर लोग अपनी तस्वीरें और विचित्र अनुभव शेयर कर हैशटैग #WorldUFODay के साथ ट्रेंड चलाते हैं।
यूएफओ दिवस से क्या संदेश मिलता है?
विश्व यूएफओ दिवस हमें याद दिलाता है कि हमारा ब्रह्मांड कितना बड़ा और रहस्यमयी है। हमें हमेशा विज्ञान की सहायता से इन रहस्यों की खोज करनी चाहिए। साथ ही, यह दिन बताता है कि हो सकता है हम इस पूरे ब्रह्मांड में अकेले न हों।
यह दिन विज्ञान और कल्पना (साइंस-फिक्शन) के बीच की उस पतली रेखा को भी उजागर करता है, जहां से नई खोजों और थ्योरीज की शुरुआत होती है।
विश्व यूएफओ दिवस सिर्फ एलियंस या उड़नतश्तरियों का जश्न मनाने का दिन नहीं है, बल्कि यह मानव जिज्ञासा और खोज की भावना को भी सलाम करता है। इस दिन हमें यह भी याद रखना चाहिए कि हर रहस्य को समझने के लिए हमें धैर्य और वैज्ञानिक सोच अपनानी चाहिए।
हो सकता है आने वाले वर्षों में विज्ञान हमें उन सवालों के जवाब दे सके, जिनके लिए आज हम आसमान की तरफ टकटकी लगाए हुए हैं।


