लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने आज एक बड़ा फैसला लेते हुए पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के महत्वाकांक्षी ड्रीम प्रोजेक्ट, जयप्रकाश नारायण इंटरनेशनल सेंटर (जेपीएनआईसी) के संचालन और रखरखाव की जिम्मेदारी लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) को सौंप दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।
यह फैसला इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि जेपीएनआईसी परियोजना समाजवादी पार्टी की सरकार के कार्यकाल में शुरू हुई थी और इसे अखिलेश यादव का एक ड्रीम प्रोजेक्ट माना जाता था। लगभग 800 करोड़ रुपये की लागत से बने इस हाईटेक परिसर को लखनऊ शहर के एक प्रमुख शासकीय सम्मेलन एवं प्रदर्शनी स्थल के रूप में विकसित करने की योजना थी। इसका उद्देश्य प्रशासनिक कार्यों, शासकीय बैठकों, सांस्कृतिक आयोजनों और अंतरराष्ट्रीय सेमिनारों को एक ही स्थान पर आधुनिक सुविधाओं के साथ संचालित करना था।
बैठक के बाद वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि जेपीएनआईसी प्रोजेक्ट के लिए अब तक राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए 821.74 करोड़ रुपये को एलडीए को ऋण के रूप में माना जाएगा। इस राशि को लखनऊ विकास प्राधिकरण को अगले 30 वर्षों में सरकार को वापस करना होगा। सरकार ने जेपीएनआईसी सोसायटी को भंग करते हुए इसके संचालन और रखरखाव का जिम्मा पूरी तरह से एलडीए को सौंप दिया है।
इस निर्णय के तहत, एलडीए को परियोजना को निजी सहभागिता के माध्यम से संचालित करने, आवश्यक प्रक्रिया और शर्तें तय करने, जेपीएनआईसी सोसायटी की सदस्यता समाप्त करने और अन्य संबंधित कार्यों के लिए पूरी तरह से अधिकृत किया गया है। सरकार का मानना है कि यह कदम परियोजना को पारदर्शी और कुशल तरीके से जनता के हित में उपयोग करने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा।
गौरतलब है कि साल 2017 में जब उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार आई, तो जेपीएनआईसी के निर्माण कार्य पर कुछ समय के लिए रोक लगा दी गई थी। उस दौरान, योगी सरकार के आवास राज्यमंत्री सुरेश पासी ने जेपीएनआईसी के निर्माण में भ्रष्टाचार के आरोप भी लगाए थे, जिसके चलते इस परियोजना पर सवाल उठे थे। हालांकि, आज के फैसले से यह स्पष्ट होता है कि योगी सरकार अब इस महत्वपूर्ण परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।
जानकारों का मानना है कि जेपीएनआईसी के संचालन की जिम्मेदारी एलडीए को सौंपने से परियोजना के प्रबंधन में अधिक कुशलता और पारदर्शिता आएगी। एलडीए के पास पहले से ही शहर में कई बड़ी विकास परियोजनाओं के संचालन का अनुभव है, जिसका लाभ जेपीएनआईसी को मिलेगा। यह भी उम्मीद जताई जा रही है कि निजी क्षेत्र की भागीदारी से इस परिसर में विश्वस्तरीय सुविधाएं विकसित की जा सकेंगी, जिससे यह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के आयोजनों के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र बन सकेगा।
अखिलेश यादव की इस ड्रीम प्रोजेक्ट को लेकर योगी सरकार का यह बड़ा फैसला निश्चित रूप से राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बनेगा। एक तरफ जहां सरकार का कहना है कि यह कदम परियोजना को जनता के हित में बेहतर ढंग से संचालित करने के लिए उठाया गया है, वहीं विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया भी देखने लायक होगी। बहरहाल, लखनऊ के लिए यह एक महत्वपूर्ण विकास है और उम्मीद की जा सकती है कि जेपीएनआईसी जल्द ही अपनी पूरी क्षमता के साथ शहर की प्रगति में योगदान देगा।


