देश की राजधानी दिल्ली में राजनीतिक हलचल एक बार फिर तेज हो गई है। संसद का मानसून सत्र इसी महीने शुरू होने वाला है, जिसे लेकर केंद्र सरकार ने सभी राजनीतिक दलों की एक सर्वदलीय बैठक बुलाई है। इस बैठक का उद्देश्य संसद में सुचारू कामकाज सुनिश्चित करना और विपक्ष के साथ बातचीत कर संभावित मुद्दों पर सहमति बनाना है।
सूत्रों के मुताबिक, संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होगा, जो 21 अगस्त तक चलेगा। इस दौरान कई महत्वपूर्ण विधेयक पेश किए जाएंगे और साथ ही सरकार पिछले कार्यों का लेखा-जोखा भी देगी। सरकार इस सत्र में वित्तीय सुधारों, महिलाओं की सुरक्षा, कृषि संबंधी योजनाओं, और कुछ राज्यों को विशेष सहायता से जुड़े बिल लाने की तैयारी में है।
सरकार का रुख
केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री ने कहा,
“हमारा उद्देश्य संसद को सुचारू रूप से चलाना है। सभी दलों से निवेदन है कि वे रचनात्मक रवैया अपनाएं। जो भी मुद्दे विपक्ष उठाना चाहता है, उस पर हम चर्चा को तैयार हैं। सर्वदलीय बैठक में इन्हीं बिंदुओं पर विस्तार से बात होगी।”
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि बैठक के जरिए वह पहले से ही विपक्ष के मुद्दों को जानकर, एजेंडा तय करना चाहती है ताकि संसद में हंगामे की बजाय सकारात्मक चर्चा हो सके।
संभावित मुद्दे व बिल
इस बार सरकार कई अहम विधेयक लाने की तैयारी में है। इनमें आर्थिक सुधारों, महिला सुरक्षा, कृषि सुधार और डिजिटल डेटा संरक्षण से जुड़ी विधेयक शामिल बताए जा रहे हैं। साथ ही कुछ राज्यों को विशेष पैकेज देने का प्रस्ताव भी आ सकता है।
सरकार की कोशिश रहेगी कि इन बिलों को बहस के बाद पास कराया जाए ताकि जनता के बीच अच्छा संदेश जाए, खासकर तब जब आने वाले महीनों में राज्यों में चुनाव होने हैं।
संसद परिसर में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी
मानसून सत्र को देखते हुए संसद भवन और आसपास के क्षेत्रों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। दिल्ली पुलिस और संसद की सुरक्षा एजेंसियां चौकसी बरत रही हैं। सांसदों, अधिकारियों, मीडियाकर्मियों और आगंतुकों के लिए विशेष पास की व्यवस्था रहेगी ताकि किसी तरह की अनधिकृत गतिविधि न हो।
कुल मिलाकर, संसद का यह मानसून सत्र कई मायनों में अहम होगा।
- यह नई संसद में तीसरा बड़ा सत्र होगा।
- सरकार अपनी योजनाओं को आगे बढ़ाना चाहेगी।
- विपक्ष अपनी बात पुरजोर तरीके से रखेगा।
- सर्वदलीय बैठक से यह साफ हो जाएगा कि सत्ता पक्ष और विपक्ष किन मुद्दों पर आम सहमति बना पाते हैं।
अब सबकी नजरें इस पर हैं कि क्या इस मानसून सत्र में संसद की कार्यवाही बिना हंगामे के चल पाएगी या फिर यह भी विरोध-प्रदर्शन और स्थगनों की भेंट चढ़ेगा।


