कृष्ण जन्माष्टमी 2025: तिथि, महत्व, व्रत और पूजा विधि

कृष्ण जन्माष्टमी हिंदू धर्म का एक प्रमुख और अत्यंत श्रद्धापूर्वक मनाया जाने वाला पर्व है। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है, जो विष्णु के आठवें अवतार माने जाते हैं। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। यह तिथि अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार अगस्त या सितंबर महीने में आती है। जन्माष्टमी न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से भी अत्यंत प्रभावशाली पर्व है।

“जब-जब धर्म की हानि होती है, तब-तब मैं अवतरित होता हूँ।”भगवद्गीता

श्लोक:
“परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे-युगे॥” (गीता, अध्याय 4, श्लोक 8)

कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व – क्यों मनाते हैं?

कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का उत्सव है। यह भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। श्रीकृष्ण को विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है, जिनका जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था।

कृष्ण जन्म की कथा (Krishna Janm Katha)

मथुरा के अत्याचारी राजा कंस को आकाशवाणी में चेतावनी मिली कि उसकी बहन देवकी का आठवां पुत्र उसका वध करेगा। कंस ने देवकी और वसुदेव को कारागार में डाल दिया और उनकी हर संतान को मार डाला। अष्टमी की रात रोहिणी नक्षत्र में भगवान विष्णु ने वसुदेव को दर्शन देकर कहा कि वे बालक को गोकुल ले जाकर नंद-यशोदा को सौंप दें। वसुदेव ने यमुनाजी पार कर कृष्ण को गोकुल पहुंचाया और इस तरह श्रीकृष्ण का जन्म हुआ।

कृष्ण जन्माष्टमी की तिथि और शुभ मुहूर्त

  • तिथि: भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी
  • नक्षत्र: रोहिणी नक्षत्र
  • समय: प्रायः रात 12 बजे जन्म उत्सव मनाया जाता है।

कृष्ण जन्माष्टमी व्रत विधि और पूजा

कृष्ण जन्माष्टमी पर उपवास और पूजा का विशेष महत्व है। पूजा विधि इस प्रकार है:

  • प्रातः स्नान और व्रत संकल्प लें।
  • पूजा स्थल को गोकुल जैसा सजाएँ।
  • श्रीकृष्ण का शृंगार करें – मोरपंख, बांसुरी, पीताम्बर, माखन की थाली।
  • भोग लगाएँ – माखन-मिश्री, पंजीरी, फल, मिठाई।
  • भजन-कीर्तन करें – रात 12 बजे जन्मोत्सव मनाएँ।

दही-हांडी उत्सव – माखन चोरी की याद

महाराष्ट्र और उत्तर भारत में दही-हांडी का आयोजन होता है। इसमें मानव पिरामिड बनाकर ऊँचाई पर लटकी दही की हांडी फोड़ी जाती है, जो श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का प्रतीक है।

कृष्ण जन्माष्टमी का सांस्कृतिक महत्व

  • वृंदावन, मथुरा में विशेष रौनक रहती है।
  • झांकियां, रासलीला और भजन संध्या का आयोजन।
  • सोशल मीडिया पर #Janmashtami, #KrishnaJanmotsav, #RadheKrishna ट्रेंड करता है।

श्रीकृष्ण से जीवन की 5 प्रेरणाएँ

  • धर्म का पालन करें – चाहे परिस्थिति कठिन हो।
  • कर्म करें, फल की चिंता न करें – कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन
  • प्रेम और भक्ति में शक्ति है।
  • संकट में धैर्य और बुद्धि का प्रयोग करें।
  • सच्चाई और साहस से जीवन सुंदर बनता है।

✅ “जो हुआ वह अच्छा हुआ, जो हो रहा है वह अच्छा हो रहा है, जो होगा वह भी अच्छा ही होगा।”
✅ “अहंकार मत रखो, क्योंकि समय कभी भी बदल सकता है।”

निष्कर्ष

कृष्ण जन्माष्टमी केवल एक पर्व नहीं, बल्कि धर्म, भक्ति और प्रेम का उत्सव है। श्रीकृष्ण का जीवन हमें यह सिखाता है कि सच्चाई और धर्म के मार्ग पर चलना ही जीवन का सार है।

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Author: Nation TV

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