प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को टोक्यो पहुंचे, जहां उनका एयरपोर्ट पर पारंपरिक अंदाज में भव्य स्वागत किया गया। जापानी नागरिकों और भारतीय प्रवासी समुदाय ने लोक-संगीत, गायत्री मंत्र और पारंपरिक गीतों के साथ उनका अभिनंदन किया। यह दौरा भारत और जापान के बीच 15वें वार्षिक शिखर सम्मेलन के तहत हो रहा है, जिसका उद्देश्य द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाना है।
प्रधानमंत्री मोदी इस दौरे के दौरान जापान के प्रधानमंत्री शिंजिरो ईशिबा के साथ उच्च-स्तरीय वार्ता करेंगे। बैठक में व्यापार, रक्षा, तकनीक, निवेश और क्षेत्रीय सुरक्षा जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा होगी। दोनों देशों के बीच लगभग 100 समझौता पत्र (MoUs) पर हस्ताक्षर की उम्मीद है, जो आर्थिक और तकनीकी सहयोग को नई गति देंगे।
सूत्रों के अनुसार, रक्षा सहयोग को मजबूत करने के लिए ‘डिक्लरेशन ऑन सिक्योरिटी कोऑपरेशन’ (2008) को अपग्रेड करने की भी तैयारी है। इसके अलावा, E10 शिंकान्सेन हाई-स्पीड बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट, सेमीकंडक्टर निर्माण, नवीकरणीय ऊर्जा और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे क्षेत्रों में भी साझेदारी को बढ़ावा देने पर जोर दिया जाएगा।
भारत-जापान की रणनीतिक साझेदारी को और गहरा करने के लिए क्वाड (Quad) ढांचे के तहत सुरक्षा और आर्थिक सहयोग पर भी विचार किया जाएगा। यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब अमेरिका की ओर से लगाई गई टैरिफ बाधाओं के बीच भारत अपने एशियाई सहयोगियों के साथ संबंधों को मजबूत करने की रणनीति पर काम कर रहा है।
जापान ने इस दौरे के दौरान भारत में 68 अरब डॉलर (करीब 10 ट्रिलियन येन) के नए निवेश की योजना का संकेत दिया है, जो ‘मेक इन इंडिया’ और बुनियादी ढांचे के विकास को मजबूत करेगा।
प्रधानमंत्री मोदी टोक्यो के बाद 31 अगस्त से 1 सितंबर तक चीन का दौरा करेंगे, जहां वे शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की शिखर बैठक में शामिल होंगे।
मुख्य बिंदु:
- टोक्यो एयरपोर्ट पर पीएम मोदी का सांस्कृतिक और आध्यात्मिक स्वागत
- 100 से ज्यादा समझौते होने की संभावना
- रक्षा, बुलेट ट्रेन, सेमीकंडक्टर और ऊर्जा सहयोग पर जोर
- क्वाड ढांचे के तहत क्षेत्रीय रणनीतिक साझेदारी को बढ़ावा
- जापान से 68 अरब डॉलर के नए निवेश की उम्मीद
यह दौरा भारत और जापान के संबंधों को एक नई ऊंचाई पर ले जाने वाला साबित हो सकता है, जिससे न केवल आर्थिक बल्कि सामरिक सहयोग भी मजबूत होगा।


