मुंबई: महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण को लेकर चल रहा आंदोलन आखिरकार खत्म होने की कगार पर है। सरकार और मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे पाटिल के बीच बातचीत के बाद एक समझौता हुआ है। सरकार ने जरांगे की मुख्य मांगों को स्वीकार कर लिया है, जिसके बाद जरांगे ने आंदोलन खत्म करने का ऐलान किया है। हालांकि, सरकार ने एक शर्त रखी है, जिसे लेकर अभी भी कुछ अनिश्चितता बनी हुई है।
सरकार ने मानीं ये मांगें
मंगलवार को मुंबई के आजाद मैदान में हजारों समर्थकों के साथ अनशन पर बैठे मनोज जरांगे ने ऐलान किया कि सरकार उनकी मांगों को पूरा करने के लिए तैयार हो गई है। उन्होंने कहा कि सरकार ने मराठों को ‘कुनबी’ दर्जा देकर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत आरक्षण देने की उनकी मुख्य मांग मान ली है। इसके अलावा, सरकार आंदोलनकारियों पर दर्ज सभी एफआईआर वापस लेने और पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई करने के लिए भी सहमत हो गई है।
कुनबी प्रमाण पत्र पर शर्त
हालांकि, इस समझौते में एक महत्वपूर्ण शर्त है। सरकार ने कहा है कि वह उन्हीं मराठाओं को ‘कुनबी’ प्रमाण पत्र जारी करेगी, जिनके पास निजाम काल के ‘कुनबी’ होने के दस्तावेजी सबूत हैं। सरकार का कहना है कि 1930 और 1967 के बीच के दस्तावेजों की जांच के आधार पर यह प्रमाण पत्र दिया जाएगा। इस शर्त को लेकर मराठा समुदाय के कुछ हिस्सों में नाराजगी है, क्योंकि सभी मराठा परिवारों के पास ऐसे पुराने दस्तावेज नहीं हैं।
ओबीसी समुदाय का विरोध जारी
इस बीच, ओबीसी नेताओं, जिनमें छगन भुजबल जैसे नेता शामिल हैं, ने मराठाओं को ओबीसी कोटे में शामिल करने का कड़ा विरोध किया है। उनका कहना है कि अगर मराठाओं को ओबीसी में शामिल किया जाता है तो ओबीसी आरक्षण पर असर पड़ेगा। भुजबल ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर ओबीसी के हक के साथ खिलवाड़ किया गया तो वे भी बड़ा आंदोलन करेंगे।
कोर्ट की भी सख्ती
मराठा आंदोलन के कारण मुंबई में भारी यातायात जाम और कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा हो गई थी। बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी इस पर कड़ी नाराजगी जताते हुए पुलिस को मंगलवार दोपहर तक आजाद मैदान से प्रदर्शनकारियों को हटाने का आदेश दिया था। इस आदेश के बाद ही सरकार और जरांगे के बीच समझौते की प्रक्रिया तेज हुई।
आगे क्या होगा?
अब सबकी नजरें इस बात पर टिकी हैं कि सरकार कब तक सरकारी आदेश (जीआर) जारी करती है और उसमें क्या शर्तें शामिल होती हैं। मनोज जरांगे ने कहा है कि जीआर आने पर ही वह अपनी भूख हड़ताल खत्म करेंगे। हालांकि, सरकार की शर्त और ओबीसी समुदाय के विरोध को देखते हुए मराठा आरक्षण का मुद्दा अभी पूरी तरह से शांत नहीं हुआ है।


