नई दिल्ली: जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) लागू होने के आठ साल बाद भारत के अप्रत्यक्ष कर ढांचे में सबसे बड़ा बदलाव किया गया है। 56वीं जीएसटी काउंसिल की बैठक में जीएसटी को चार स्लैब (5%, 12%, 18% और 28%) से हटाकर दो मुख्य स्लैब में लाने का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया है। अब 5% (आवश्यक वस्तुओं के लिए) और 18% (मानक वस्तुओं के लिए) की दो दरें ही लागू होंगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में कई बड़े फैसले लिए गए, जो 22 सितंबर, 2025 से प्रभावी होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वतंत्रता दिवस भाषण में “जीएसटी में बड़े सुधार” के संकेत के बाद यह कदम उठाया गया है, जिसे दिवाली से पहले आम जनता के लिए एक बड़ा तोहफा माना जा रहा है।
मुख्य निर्णय: आम जनता को क्या मिलेगा फायदा?
जीएसटी के नए ढांचे का सबसे बड़ा फायदा आम उपभोक्ता को होगा, क्योंकि दैनिक उपयोग की कई वस्तुएं अब सस्ती हो जाएंगी।
- घरेलू और व्यक्तिगत सामान: हेयर ऑयल, शैंपू, टूथपेस्ट, साबुन, शेविंग क्रीम, रसोई के बर्तन और साइकिल जैसे सामानों पर जीएसटी 18% या 12% से घटकर 5% हो जाएगा।
- खाद्य और डेयरी उत्पाद: घी, मक्खन, पनीर, नमकीन, बिस्किट, पास्ता, सॉस, इंस्टेंट नूडल्स और चॉकलेट जैसे पैकेटबंद खाद्य पदार्थों पर जीएसटी 12% या 18% से घटकर 5% हो जाएगा।
- अस्पताल और हेल्थकेयर: जीवन रक्षक दवाओं पर जीएसटी 12% से घटाकर शून्य कर दिया गया है। इसके अलावा, स्वास्थ्य और जीवन बीमा पॉलिसियों पर लगने वाला 18% जीएसटी भी पूरी तरह से हटा दिया गया है। थर्मामीटर, डायग्नोस्टिक किट और ग्लूकोमीटर जैसे मेडिकल उपकरणों पर भी अब 5% जीएसटी लगेगा, जो पहले 12% या 18% था।
- ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स: 350 सीसी से कम की मोटरसाइकिलें, छोटी कारें, बसें और ट्रकों पर जीएसटी 28% से घटाकर 18% कर दिया गया है। टीवी (32 इंच से ऊपर), एयर कंडीशनर, वॉशिंग मशीन और डिशवॉशर जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स भी अब 18% के दायरे में आ गए हैं।
तंबाकू और लग्जरी उत्पादों पर नई दरें
जहां एक ओर आम जरूरत की चीजें सस्ती हुई हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ विशेष वस्तुओं पर जीएसटी की दरें बढ़ा दी गई हैं।
- ‘गुटखा’ और लग्जरी सामान: पान मसाला, गुटखा, सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पादों के साथ-साथ लग्जरी गाड़ियों पर 40% का नया स्लैब लागू किया गया है। यह कदम सरकार की राजस्व बढ़ाने और सार्वजनिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने की नीति का हिस्सा है।
- सीमेंट पर राहत: सीमेंट पर जीएसटी 28% से घटाकर 18% कर दिया गया है। यह रियल एस्टेट और निर्माण क्षेत्र के लिए एक बड़ी राहत है।
कारोबारियों के लिए सरलता
जीएसटी के नए ढांचे से न केवल उपभोक्ताओं को बल्कि कारोबारियों को भी बड़ा फायदा मिलेगा।
- सरल अनुपालन: दो मुख्य स्लैब होने से वस्तुओं के वर्गीकरण को लेकर होने वाले विवाद कम होंगे, जिससे कारोबारियों के लिए अनुपालन करना आसान हो जाएगा।
- एमएसएमई को लाभ: छोटे और मध्यम उद्यमों (MSMEs) के लिए पंजीकरण की प्रक्रिया को तीन दिनों तक सीमित कर दिया गया है, जिससे उनका पंजीकरण आसान होगा।
- आईटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) की समस्या हल: इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर (कच्चे माल पर ज्यादा टैक्स और तैयार उत्पाद पर कम) की समस्या को भी हल किया गया है, खासकर टेक्सटाइल और उर्वरक क्षेत्रों में। इससे कारोबारियों की वर्किंग कैपिटल मुक्त होगी।
आर्थिक प्रभाव और विशेषज्ञों की राय
विशेषज्ञों का मानना है कि यह जीएसटी सुधार भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
- उपभोग को बढ़ावा: टैक्स दरों में कटौती से वस्तुओं की कीमतें कम होंगी, जिससे घरेलू उपभोग बढ़ेगा।
- राजस्व में वृद्धि: शुरुआत में राजस्व में थोड़ी गिरावट आ सकती है, लेकिन उपभोग बढ़ने से लंबी अवधि में राजस्व संग्रह में वृद्धि होगी।
- पारदर्शिता और निवेश: कर प्रणाली के सरल होने से पारदर्शिता बढ़ेगी और देश में निवेश का माहौल बेहतर होगा।


