रिपोर्ट: 10 सितंबर 2025- नेपाल तीन दिनों के भीतर राजनीतिक और सामाजिक उथल‑पुथल से गुजर रहा है। 4 सितंबर के सोशल‑मीडिया प्रतिबंध से शुरू हुआ विरोध 8–10 सितंबर के बीच हिंसक मोड़ ले गया। प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के इस्तीफे, कई मौतें, नेताओं के घरों पर आगजनी, वित्तमंत्री पर हमला और अब सेना की तैनाती। इस रिपोर्ट में हम क्रमवार घटनाक्रम, कारण और राजनीतिक निहितार्थों का विस्तृत सार प्रस्तुत कर रहे हैं।
8–10 सितंबर तक क्या क्या हुआ?
| तिथि | मुख्य घटनाएँ |
|---|---|
| 4 सितंबर 2025 | सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म (Facebook, WhatsApp, Instagram, X, YouTube समेत ~24) पर प्रतिबंध लागू। |
| 8 सितंबर 2025 | काठमांडू, पोखरा आदि में जन‑ज़ेड प्रदर्शन; पुलिस‑हिंसा; गृह मंत्री रमेश लेखक इस्तीफा। |
| 9 सितंबर 2025 | हिंसा तेज; कम से कम 19 लोग मारे गए; प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली इस्तीफा; पूर्व पीएम झलनाथ खनाल की पत्नी राज्यलक्ष्मी चित्रकार घर में आग से जिंदा जल गईं। |
| 10 सितंबर 2025 | सेना तैनात; कर्फ्यू; रवि लामिछाने रिहा; बलेन्द्र शाह की लोकप्रियता और संभावित अंतरिम पीएम कैंडिडेसी। |
क्यों फूटा यह आंदोलन?
नेपाल लंबे समय से आर्थिक चुनौतियों, बेरोज़गारी और राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहा है। युवा खासकर जन‑ज़ेड पीढ़ी सोशल मीडिया के ज़रिए अपने विचार व्यक्त करती है। जब 4 सितंबर को व्यापक प्लेटफ़ॉर्म्स पर प्रतिबंध लगा, युवाओं ने इसे अभिव्यक्ति की आवाज़ दबाने की कोशिश माना। साथ ही भ्रष्टाचार और शासन‑परम्पराओं की लंबी आलोचना ने आंदोलन को वैधानिक आधार से राजनीतिक विद्रोह में बदल दिया।
मुख्य कारण (संक्षेप में):
- सोशल मीडिया प्रतिबंध और डिजिटल आवाज़ पर अंकुश
- बेरोज़गारी और महंगाई
- करोड़ों के घोटाले और भ्रष्टाचार के आरोप
- युवा‑केंद्रित नेतृत्व की मांग
8 सितंबर: प्रदर्शन और पुलिस कार्रवाई
8 सितंबर को हजारों छात्र और युवा सड़कों पर उतरे। राजधानी काठमांडू के साथ‑साथ पोखरा, भरतपुर और अन्य शहरों में भी विरोध प्रदर्शन फैल गया। पुलिस ने भीड़ तितर‑बितर करने के लिए आंसू गैस, रबर बुलेट और पानी की तोपें लगाईं। कई स्थानों पर तनाव बढ़ा और गोलियां चलने की घटनाएँ दर्ज हुईं।
गृह मंत्री का इस्तीफा
उसी दिन गृह मंत्री रमेश लेखक ने परिस्थितियों की गंभीरता को देखते हुए इस्तीफा दे दिया। उनके इस्तीफे को कई विश्लेषक घातक झड़पों के लिए राजनीतिक जवाबदेही की पहली कड़ी मान रहे हैं।
नेताओं पर हमले और आगजनी
प्रदर्शनकारियों का गुस्सा केवल सड़कों तक सीमित नहीं रहा बल्कि यह सीधे दर्जा‑प्रतिष्ठान पर निकला:
- वित्त मंत्री पर हमला: प्रदर्शनकारियों ने वित्त मंत्री को सड़क पर दौड़ा‑दौड़ाकर पीटा; उनकी गाड़ी को क्षतिग्रस्त किया गया।
- पूर्व प्रधानमंत्री झलनाथ खनाल के घर पर आग: भीड़ ने उनके आवास पर हमला कर आग लगा दी। उनकी पत्नी राज्यलक्ष्मी चित्रकार आग में फंस गईं और गंभीर रूप से जलीं; अस्पताल में ले जाते समय उनका निधन हो गया।
- अन्य नेताओं के मकान भी निशाने पर: कई मंत्री‑आवासों पर हमला और आगजनी की घटनाएँ दर्ज हुईं।
9 सितंबर: पीएम केपी शर्मा ओली का इस्तीफा
9 सितंबर को बढ़ते दबाव, कई मृत्यु‑कांड और राजधानी में निकली आग के बाद प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने पद से इस्तीफा दे दिया। सरकार ने संघर्ष को शांत करने के लिए सोशल मीडिया पर लगाया गया बैन वापस लिया, पर हिंसा थमी नहीं।
अंतरिम स्थिति: सेना की तैनाती और कर्फ्यू
10 सितंबर तक राजधानी में कर्फ्यू लागू रहा और सेना सड़कों पर तैनात रही। प्रशासन ने दावा किया कि यह अस्थायी कदम कानून‑व्यवस्था बहाल करने और मानव जीवन की रक्षा के उद्देश्य से लिया गया है। कई इलाकों में पेट्रोलिंग और चेक‑पोस्ट लगाए गए।
रवि लामिछाने की रिहाई
राजनीतिक परिदृश्य में एक और तेज़ मोड़ तब आया जब पूर्व गृह मंत्री तथा Rastriya Swatantra Party के नेता रवि लामिछाने को जेल से रिहा कर दिया गया। लामिछाने सहकारी घोटाले से जुड़े मामले में जेल में थे। उनकी रिहाई ने राजनीतिक संतुलन और संभावित गठबंधन की दिशा बदल दी है।
बलेन्द्र शाह: नया चेहरा, नई आशाएँ
काठमांडू के मेयर बलेन्द्र शाह (Balen Shah) को जन‑ज़ेड का प्रतीक माना जाने लगा है। शाह की लोकप्रियता का कारण उनकी छवि, भ्रष्टाचार विरोधी, युवा‑केन्द्रित रही है। कई प्रदर्शनकारी और राजनीतिक समालोचक उन्हें अस्थायी या संक्रमणिक प्रधानमंत्री के रूप में देखते हैं।
किस तरह बन सकता है पीएम?
नेपाल में नया प्रधानमंत्री बनाने की प्रक्रिया संवैधानिक और राजनीतिक समीकरणों पर निर्भर करेगी: यदि संसद बरकरार रहे और किसी गठबंधन का निर्माण संभव हो तो संसद में बहुमत‑दलों द्वारा नया PM चुना जाएगा; अन्यथा राष्ट्रपति अस्थायी व्यवस्था के तहत अंतरिम सरकार का गठन कर सकते हैं। इन परिस्थितियों में बलेन्द्र शाह और रवि लामिछाने दोनों ही नाम संभावित दावेदार माने जा रहे हैं। या फिर पारंपरिक पार्टियाँ किसी मध्यवर्ती वेटरन नेता के साथ अस्थायी समझौता कर सकती हैं।
प्रभाव: अर्थव्यवस्था, हवाई यातायात और नागरिक जीवन
हवाई अड्डे का बंद होना, उड़ानों का डायवर्ट होना और राजधानी में व्यापार गतिविधियों का ठहराव। ये सब अर्थव्यवस्था पर सीधे प्रभाव डाल रहे हैं। छोटे व्यवसाय, पर्यटन और ट्रेड सेक्टर सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। नागरिकों को घरों से बाहर निकलने में जोखिम का सामना करना पड़ा और कई स्कूल‑कॉलेज बंद रहे।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएँ
नजदीकी देशों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने शांति बनाए रखने और संवैधानिक प्रक्रिया का सम्मान करने की अपील की है। कुछ देशों ने अपनी नागरिकों के लिए यात्रा‑निर्देश जारी किए और हवाई मार्गों पर सतर्कता बढ़ा दी।
निष्कर्ष: क्या बदलेगा नेपाल?
8–10 सितंबर 2025 का यह घटनाक्रम संकेत देता है कि नेपाल में पारंपरिक राजनीतिक व्यवस्था चुनौती के दौर से गुजर रही है। युवा‑प्रेरित आंदोलन ने सत्ता को जवाबदेह ठहराया और नई राजनीतिक आकृतियाँ — बलेन्द्र शाह और रवि लामिछाने जैसे — उभर कर सामने आई हैं। आने वाले हफ्तों और महीनों में यह तय होगा कि यह बदलाव अस्थायी झटका है या दीर्घकालिक राजनीतिक परिवर्तन की शुरुआत।


