रूस-यूक्रेन संघर्ष के बीच बुधवार तड़के कुछ ड्रोन पोलैंड की सीमा में दाखिल हुए; पोलिश वायु रक्षा और F-16 विमानों द्वारा इन्हें निष्क्रिय किया गया। यह घटना NATO की सीधे भागीदारी पर नई बहस छेड़ सकती है।
पोलिश वायुसेना ने त्वरित कार्रवाई की
पोलिश रक्षा बलों ने बताया कि पूर्वी पोलैंड के Podlaskie, Mazowieckie और Lublin क्षेत्रों में कई अनन्य ऑब्जेक्ट्स (ड्रोन) का पता चला, जिन्हें वायु रक्षा प्रणालियों और तैनात F-16 लड़ाकू विमानों की मदद से नीचे गिरा दिया गया। रक्षा सूत्रों के अनुसार इन ड्रोन पर ईरान निर्मित तंत्रों का संदिग्ध असर था।
हवाई यातायात और नागरिक प्रभाव
सुरक्षा कारणों से वारसॉ का चोपिन एयरपोर्ट तथा कुछ क्षेत्रीय हवाई अड्डों पर अस्थायी उड़ान रोक (diversions/cancellations) लागू की गईं। स्थानीय प्रशासन ने नागरिकों से शांत रहने और आधिकारिक निर्देशों का पालन करने का आह्वान किया।
सरकारी और NATO प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री डोनाल्ड तुस्क ने इस घटना को “आक्रामक कार्रवाई” करार दिया और मंत्रिमंडल की आपात बैठक बुलायी। NATO नेताओं ने पोलैंड के अधिकार क्षेत्र में हुई इस घटना पर चिंता व्यक्त की और गठबंधन ने सदस्य देश के रूप में पोलैंड का समर्थन दर्ज कराया।
“हमारी संप्रभुता पर किसी भी तरह के आक्रमण को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा,” — पोलैंड के प्रधानमंत्री।
क्षेत्रीय तनाव और दीर्घकालिक प्रभाव
यह घटना ऐसे समय में हुई जब रूस-और बेलारूस सीमा के पास सैन्य अभ्यास चल रहे थे। विश्लेषकों का कहना है कि यदि भविष्य में NATO सदस्य देशों के क्षेत्र में समान उल्लंघन जारी रहे तो गठबंधन की सक्रिय भूमिका बढ़ सकती है, जिससे संघर्ष में एक नया और जोखिमभरा चरण आ सकता है।
क्या यह NATO की “सीधी एंट्री” है?
हालांकि पोलैंड द्वारा ड्रोन गिराने की कार्रवाई ने NATO के दायरे पर सवाल उठाये हैं, अभी तक किसी सदस्य देश ने रूस के खिलाफ सामूहिक सुरक्षा धाराओं के तहत शत्रुता की घोषणा नहीं की है। विशेषज्ञों के अनुसार यह घटना NATO की भूमिका को नई रूपरेखा दे सकती है, परन्तु वास्तविक “युद्ध में एंट्री” का निर्णायक कदम कई राजनीतिक और कानूनी विचारों पर निर्भर करेगा।
अगले कदम
- पोलिश सेना और सुरक्षा एजेंसियां ड्रोन के अवशेषों की जांच कर रही हैं।
- NATO कार्यसमूह स्थिति का आकलन कर रहा है और भविष्य की रणनीति पर चर्चा कर सकता है।
- अंतरराष्ट्रीय समुदाय से कूटनीतिक प्रतिक्रियाएं और आर्थिक प्रतिबंधों की चर्चाएँ तेज हो सकती हैं।


