दिवाली, जिसे दीपावली भी कहा जाता है, भारत का सबसे बड़ा और सबसे प्रसिद्ध त्यौहार है। यह त्यौहार अंधकार पर प्रकाश, बुराई पर अच्छाई और अज्ञान पर ज्ञान की विजय का प्रतीक है। हर साल कार्तिक मास की अमावस्या के दिन यह पर्व मनाया जाता है।
🌼 त्यौहार का महत्व
हिंदू मान्यता के अनुसार, इसी दिन भगवान श्रीराम चौदह वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे। अयोध्यावासियों ने उनके स्वागत में दीप जलाकर पूरी नगरी को रोशन किया। तभी से दीप जलाने की परंपरा शुरू हुई। जैन धर्म में यह दिन भगवान महावीर के निर्वाण दिवस के रूप में भी मनाया जाता है, जबकि सिख धर्म में गुरु हरगोबिंद जी की रिहाई की खुशी में ‘बंदी छोड़ दिवस’ मनाया जाता है।
🪔 त्यौहार की तैयारी और सजावट
दिवाली से कुछ दिन पहले लोग अपने घरों की सफाई करते हैं, उन्हें सजाते हैं और नये कपड़े खरीदते हैं। बाजारों में रौनक छा जाती है। रंग-बिरंगी लाइटें, मिठाइयाँ, सजावटी सामान और उपहारों से हर दुकान चमक उठती है। लोग अपने घरों में दीये, मोमबत्तियाँ और रंगोली से स्वागत द्वार सजाते हैं।
💰 धनतेरस और लक्ष्मी पूजन
दिवाली से दो दिन पहले धनतेरस आता है, जिस दिन लोग सोना-चांदी या नए बर्तन खरीदते हैं। अमावस्या की रात को माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है, जिससे घर में सुख, समृद्धि और शांति बनी रहे।
🎆 प्रकाश का संदेश
दिवाली सिर्फ पटाखों और मिठाइयों का त्यौहार नहीं, बल्कि यह हमारे जीवन में आशा, प्रेम और भाईचारे का संदेश देता है। यह हमें सिखाता है कि चाहे जीवन कितना भी अंधकारमय क्यों न हो, एक दीपक की लौ भी उजाला फैला सकती है।
🌿 पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी
आज के समय में यह भी जरूरी है कि हम ‘ग्रीन दिवाली’ मनाएँ। कम पटाखे जलाएँ, पर्यावरण को सुरक्षित रखें, और जरूरतमंदों के साथ खुशी बाँटें। असली खुशी दूसरों के चेहरे पर मुस्कान लाने में है।


