पद्म भूषण महान तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन का इंतकाल हो गया है। इस पहले कल यह खबर आई थी, लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हो पाई थी। आज 73 साल की उम्र में उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया।
जाकिर हुसैन करीब दो हफ्ते से सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में भर्ती थे। वो फेफड़ों से संबंधित बीमारी से जूझ रहे थे। उन्होंने सोमवार को 73 साल की उम्र में आखिरी सांस ली।
Deeply saddened by the passing of the legendary tabla maestro, Ustad Zakir Hussain Ji. He will be remembered as a true genius who revolutionized the world of Indian classical music. He also brought the tabla to the global stage, captivating millions with his unparalleled rhythm.…
— Narendra Modi (@narendramodi) December 16, 2024
प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर जताया दुख
पीएम मोदी ने उस्ताद जाकिर हुसैन के निधन पर दुख जताते हुए अंग्रेजी भाषा में ट्वीट किया है। X पर उन्होंने लिखा, “महान तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन जी के निधन से बहुत दुख हुआ है। उन्हें वास्तव में एक ऐसी प्रतिभा के रूप में याद किया जाएगा जिन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत की दुनिया में क्रांति ला दी। उन्होंने तबले को वैश्विक मंच पर भी स्थान दिलाया और अपनी बेजोड़ लय से करोड़ों लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसके माध्यम से, उन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत की परंपराओं को वैश्विक संगीत के साथ सहजता से जोड़ा और इस प्रकार वे सांस्कृतिक एकता के प्रतीक बन गए।”
इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस नामक थी बीमारी
इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस का कोई इलाज नहीं है., इसको सिर्फ कंट्रोल किया जा सकता है। स्थिति गंभीर होने पर लंग ट्र्रांसप्लांट का विकल्प होता है। धीरे-धीरे फेफड़ों में ऊतक बढ़ने लगते हैं और फेफड़ों में जख्म जैसे हो जाते हैं, जिसकी वजह से आपको सीने में दर्द या जकड़न, पैर में सूजन, भूख में कमी, गले में खराश, खांसी, थकान महसूस होना, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द, वजन घटना और सांस लेने में तकलीफ हो सकती है।


