ट्रंप और मस्क के बीच तीखी बयानबाजी: क्या दोस्ती में पड़ गई दरार?

नई दिल्ली: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और दुनिया के सबसे अमीर शख्स एलन मस्क के बीच पिछले कुछ समय से चल रही तीखी बयानबाजी ने वैश्विक राजनीति और व्यापार जगत में हलचल मचा दी है। कभी एक-दूसरे के करीबी माने जाने वाले ये दोनों धुरंधर अब खुलेआम एक-दूसरे पर हमला बोल रहे हैं, जिससे उनकी दोस्ती में दरार पड़ने की अटकलें तेज हो गई हैं। यह विवाद एक “बड़े और सुंदर बिल” (Big and Beautiful Bill) को लेकर शुरू हुआ था, लेकिन अब यह जेफरी एपस्टीन फाइलों और सरकारी ठेकों तक पहुंच गया है।

विवाद की शुरुआत: “बिग एंड ब्यूटीफुल बिल”

इस विवाद की शुरुआत डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा लाए गए “बिग एंड ब्यूटीफुल बिल” से हुई। यह बिल कर कटौती, सीमा सुरक्षा बढ़ाने और मेडिकेड व खाद्य सहायता जैसे कार्यक्रमों में कटौती का एक मिश्रण था। एलन मस्क ने इस बिल को “घृणित” और “विशाल खर्च वाला बिल” बताते हुए इसकी कड़ी आलोचना की थी। मस्क का मानना था कि यह बिल अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मंदी की ओर धकेल सकता है।

ट्रंप की नाराजगी और मस्क का पलटवार

मस्क की आलोचना से ट्रंप नाराज हो गए। उन्होंने मस्क पर “ट्रंप डिरेंजमेंट सिंड्रोम” का आरोप लगाया और कहा कि मस्क को अभी भी व्हाइट हाउस की याद सता रही है। ट्रंप ने यहां तक धमकी दी कि वह मस्क की कंपनियों, जैसे स्पेसएक्स, को दिए गए सरकारी कॉन्ट्रैक्ट्स और सब्सिडी को खत्म कर देंगे।

इसके जवाब में मस्क ने भी तीखा पलटवार किया। उन्होंने X (पहले ट्विटर) पर दावा किया कि ट्रंप का नाम कुख्यात बाल यौन अपराधी जेफरी एपस्टीन से जुड़ी गोपनीय फाइलों में है, और इसी वजह से इन फाइलों को सार्वजनिक नहीं किया गया है। मस्क ने कहा कि “अब वाकई बड़ा बम गिराने का समय आ गया है।” उन्होंने यहां तक कि ट्रंप पर महाभियोग चलाने और उन्हें राष्ट्रपति पद से हटाकर जेडी वेंस को नया राष्ट्रपति बनाने की मांग तक कर डाली। मस्क के अनुसार उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोल भी कराया, जिसमें 80% लोगों ने नई राजनीतिक पार्टी बनाने का समर्थन किया। उन्होंने “द अमेरिका पार्टी” नाम का सुझाव भी दिया।

एपस्टीन फाइल का मुद्दा

एपस्टीन फाइल का मुद्दा इस विवाद में एक नया और सनसनीखेज मोड़ है। जेफरी एपस्टीन एक बाल यौन अपराधी और तस्कर था, जिस पर कई नाबालिग लड़कियों का यौन शोषण करने और उनकी तस्करी करने के आरोप थे। मस्क का दावा है कि ट्रंप का नाम एपस्टीन से जुड़े दस्तावेजों में है, और इसी वजह से इन फाइलों को सार्वजनिक नहीं किया जा रहा है। हालांकि, मस्क ने बाद में एपस्टीन फाइलों में ट्रंप का नाम होने का दावा करने वाली अपनी पोस्ट को X से हटा दिया, जिससे दोनों के बीच सुलह की अटकलें लगने लगी हैं।

सरकारी ठेकों और कंपनियों पर असर

इस विवाद का असर मस्क की कंपनियों पर भी देखने को मिला है। ट्रंप की धमकियों के बाद टेस्ला के शेयरों में भारी गिरावट दर्ज की गई, जिससे मस्क की नेटवर्थ को भी नुकसान पहुंचा है। ट्रंप के सहयोगी स्टीव बैनन ने तो यहां तक सुझाव दिया है कि ट्रंप डिफेंस प्रोडक्शन एक्ट के तहत कार्यकारी आदेश जारी कर स्पेसएक्स को जब्त कर लें। हालांकि, ट्रंप ने अभी तक इस पर कोई कदम नहीं उठाया है।

मस्क और ट्रंप के बीच यह विवाद अब व्यक्तिगत और राजनीतिक दोनों स्तर पर गहरा गया है। मस्क की वित्तीय, तकनीकी और सोशल मीडिया ताकत उन्हें ट्रंप के लिए एक मजबूत प्रतिद्वंद्वी बनाती है। दूसरी ओर, ट्रंप के कार्यकारी आदेशों और सरकारी शक्तियों का उपयोग मस्क की कंपनियों को निशाना बना सकता है। इस टकराव का असर न केवल अमेरिकी राजनीति, बल्कि वैश्विक अंतरिक्ष कार्यक्रमों और अन्य देशों के अंतरिक्ष सहयोग पर भी पड़ सकता है। रूस ने तो ट्रंप के साथ विवाद के बीच मस्क को “राजनीतिक शरण” देने का ऑफर तक दे दिया है। सभी की नजरें इस बात पर हैं कि यह विवाद आगे कैसे आकार लेता है और क्या यह “ब्रेकअप ऑफ द सेंचुरी” वास्तव में एक स्थायी दरार है या सिर्फ एक अस्थायी तूफान।

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Author: Nation TV

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