आखिर अमित शाह ने क्यों कहा कि अंग्रेजी बोलने वालों को शर्म आएगी? ये रहा पूरा मामला

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज दिल्ली में आयोजित एक पुस्तक विमोचन समारोह में एक ऐसा बयान दिया, जिसने भाषाई विवाद को हवा दे दी है। शाह ने कहा कि वह दिन दूर नहीं जब भारत में अंग्रेजी बोलने वाले लोग शर्मिंदगी महसूस करेंगे। उनका यह बयान देश की भाषा नीति और विभिन्न भाषाओं के महत्व को लेकर चल रही बहस के बीच आया है।

अमित शाह ने पूर्व आईएएस अधिकारी आशुतोष अग्निहोत्री की पुस्तक ‘मैं बूंद स्वयं, खुद सागर हूं’ के विमोचन कार्यक्रम में बोलते हुए भारतीय संस्कृति, भाषा, इतिहास और धर्म पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “अपने देश को समझने के लिए विदेशी भाषा काफी नहीं है। वह केवल और केवल भारतीयता और भारतीय भाषा से हो सकती है।”

शाह ने यह भी उल्लेख किया कि मोदी सरकार ने भारतीय भाषा विभाग की स्थापना की है, जिसका मुख्य उद्देश्य प्रत्येक भारतीय भाषा के उपयोग को बढ़ावा देना है। उन्होंने अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा कि दिसंबर के बाद वह हर राज्य के मुख्यमंत्री और मंत्रियों के साथ उनकी मातृभाषा में ही पत्र-व्यवहार करेंगे।

शाह ने आगे कहा, “मेरी बात याद रखना, हम सबके जीवन में इस देश में अंग्रेजी बोलने वालों को शर्म आएगी। ऐसा समाज का निर्माण अब दूर नहीं है। चीजों को वही कर पाते हैं, जो करने की ठान लेते हैं। मैं मानता हूं कि हमारे देश की भाषाएं हमारी संस्कृति का गहना है।”

अमित शाह के इस बयान ने तुरंत ही राजनीतिक और सामाजिक मंचों पर हलचल पैदा कर दी। कुछ लोगों ने इसे हिंदी भाषा को बढ़ावा देने की दिशा में एक साहसिक कदम बताया है, जबकि कई अन्य ने इसे समावेशी भावना के विपरीत और गैर-हिंदी भाषी लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला बताया है।

भारतीय जनता पार्टी के कुछ नेताओं ने अमित शाह के बयान का समर्थन किया है। उनका कहना है कि गृह मंत्री का उद्देश्य लोगों को अपनी मातृभाषा और राष्ट्रीय भाषाओं पर गर्व करने के लिए प्रोत्साहित करना है, न कि किसी विशेष भाषा को नीचा दिखाना।

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Author: Nation TV

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