ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह खामेनेई का यूपी के इस जिले से है गहरा नाता, यहीं से ईरान गए थे उनके पूर्वज!

पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव के बीच ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई हमेशा अपने देश के दृढ़ रुख का प्रतिनिधित्व करते हैं। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि ईरान की इस्लामिक क्रांति की जड़ें भारत के उत्तर प्रदेश से जुड़ी हुई हैं। 19वीं शताब्दी में उत्तर प्रदेश के एक शिया धर्मगुरु सैयद अहमद मुसवी ईरान चले गए थे, और इसी परिवार से ईरान के पहले सर्वोच्च नेता अयातुल्ला रुहोल्लाह खुमैनी हुए। हालांकि वर्तमान सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई का परिवार एक अलग धार्मिक वंश से है और उनका कोई प्रमाणित पैतृक संबंध भारत से नहीं है।

ईरान में पहलवी शासन का अंत करने वाले अयातुल्ला रुहोल्लाह खुमैनी का पारिवारिक इतिहास उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के किंटूर गांव से जुड़ा है। उनके दादा, सैयद अहमद मुसवी, 19वीं शताब्दी की शुरुआत में इसी गांव में पैदा हुए थे। उनका परिवार मूल रूप से ईरान से था और अवध के नवाबों के शासनकाल के दौरान धर्म प्रचार के लिए भारत आया था। सैयद अहमद मुसवी 1830 में हज़रत अली के रौज़े की ज़ियारत के लिए इराक के नजफ़ शहर गए और फिर कभी भारत नहीं लौटे। बाद में वे ईरान के खोमैन शहर में बस गए, जहाँ उन्होंने शादी की और अपना परिवार बढ़ाया। लेकिन उन्होंने हमेशा अपने नाम के साथ ‘हिंदी’ शब्द जोड़ा और इसे अपनी पहचान बनाए रखा। ईरानी दस्तावेजों में आज भी उनका नाम “सैयद अहमद मुसवी हिंदी” के तौर पर दर्ज है।

1869 में सैयद अहमद मुसवी का निधन हो गया और उन्हें इराक के कर्बला शहर में दफनाया गया। लेकिन उनकी धार्मिक विरासत और शिक्षाएं जीवित रहीं। उनके पोते, रुहोल्लाह खुमैनी, जिन्होंने 1979 में ईरान की इस्लामिक क्रांति का नेतृत्व किया और देश के पहले सर्वोच्च नेता बने, इसी विरासत का हिस्सा थे। अयातुल्ला खुमैनी का जन्म 1902 में ईरान के खुमैन शहर में हुआ था। उन्होंने अमेरिका समर्थित शाह रजा पहलवी के शासन का विरोध किया, जिसके कारण उन्हें देश से निष्कासित कर दिया गया। निर्वासन के बाद तुर्की, इराक और फिर फ्रांस में रहने के दौरान भी खुमैनी ने अपनी विचारधारा का प्रचार जारी रखा।

खुमैनी के बाद 1989 में जब उनका इंतकाल हुआ, तो उनकी विरासत को संभालने के लिए एक और महत्वपूर्ण व्यक्ति उभरे—अली खामेनेई। अली खामेनेई का जन्म 1939 में ईरान के मशहद में हुआ था। वे जवाद खामेनेई के आठ बच्चों में से दूसरे थे। खामेनेई ने बचपन से ही शिया धर्मशास्त्र, फारसी साहित्य और इस्लामी राजनीति का अध्ययन किया। हालांकि, उनके परिवार का कोई सीधा संबंध अयातुल्ला खुमैनी के भारतीय पूर्वजों से नहीं मिलता है।

यह रिपोर्ट विभिन्न स्रोतों से इकट्ठा की गई….

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Author: Nation TV

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