नौनिहाल बच्चों का हेल्थ रिकॉर्ड हुआ बेहतर, जीरो-डोज़ बच्चे घटकर हुए 0.06% प्रतिशत

देश में 1 से 5 वर्ष तक के बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर एक बड़ी और राहतभरी खबर सामने आई है। हाल में जारी स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में अब जीरो-डोज़ (यानि वे बच्चे जिन्हें एक भी टीका नहीं लगा) बच्चों की संख्या घटकर महज 0.06% रह गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह देश की टीकाकरण नीति और जागरूकता अभियानों की बड़ी सफलता है।

जीरो-डोज़ दर में यह गिरावट खासतौर पर यूनिवर्सल इम्युनाइजेशन प्रोग्राम (UIP) और मिशन इंद्रधनुष जैसी योजनाओं की वजह से आई है। इन कार्यक्रमों के जरिए गाँव-गाँव और घर-घर जाकर टीकाकरण किया गया, जिससे लाखों बच्चों को जानलेवा बीमारियों से बचाव के टीके लग सके।

क्या है जीरो-डोज़?

जीरो-डोज़ का मतलब ऐसे बच्चे होते हैं, जिन्हें जन्म के बाद से एक भी वैक्सीन नहीं दी गई होती। यानी पोलियो, डिप्थीरिया, टिटनस, खसरा, काली खांसी जैसी बीमारियों से बचाव के लिए भी कोई टीका नहीं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ इसे सबसे ज्यादा खतरे में रहने वाला समूह मानते हैं। इन बच्चों में मृत्यु दर और गंभीर बीमारियों का खतरा कई गुना ज्यादा होता है।

पहले देश में जीरो-डोज़ बच्चों की संख्या चिंता का विषय थी। साल 2015-16 की राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे (NFHS-4) रिपोर्ट में यह दर करीब 2% थी। पर अब ताजा आंकड़े बताते हैं कि यह गिरकर 0.06% तक आ गई है। यानी अब हर 10,000 में सिर्फ 6 बच्चे ऐसे हैं, जिन्हें अभी भी कोई टीका नहीं लगा।

ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में भी दिखा असर
टीकाकरण अभियानों का सबसे ज्यादा फायदा ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में हुआ है। खासकर झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान जैसे राज्यों में मिशन इंद्रधनुष की विशेष टीमों ने घर-घर जाकर बच्चों को टीके लगाए। आदिवासी और घुमंतू समुदायों में भी स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने कड़ी मेहनत की।

कोविड काल में भी नहीं रुका टीकाकरण
कोविड-19 महामारी के दौरान दुनियाभर में टीकाकरण अभियान प्रभावित हुए, लेकिन भारत में मिशन मोड में चलकर बच्चों के नियमित टीकाकरण को जारी रखा गया। हेल्थ वर्कर्स ने पीपीई किट पहनकर भी गाँव-गाँव पहुंचकर बच्चों को जरूरी टीके लगाए। यूनिसेफ और डब्ल्यूएचओ ने भी भारत के इस प्रयास की सराहना की है।

क्यों जरूरी है टीकाकरण?
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, नियमित टीकाकरण से हर साल दुनिया में करीब 20 लाख बच्चों की जान बचती है। टीकाकरण से बच्चों को खसरा, पोलियो, निमोनिया, डायरिया जैसी बीमारियों से सुरक्षा मिलती है। भारत में मिशन इंद्रधनुष के तहत 12 जानलेवा बीमारियों के खिलाफ मुफ्त टीके लगाए जाते हैं।

अभी भी सतर्क रहने की जरूरत
हालांकि जीरो-डोज़ की दर में रिकॉर्ड गिरावट जरूर आई है, मगर स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि अभी भी कुछ इलाके ऐसे हैं, जो टीकाकरण से वंचित आंशिक रूप से वंचित हैं। खासकर झुग्गी-झोपड़ी इलाकों और सीमावर्ती क्षेत्रों में सतत निगरानी जरूरी है।

इस तरह जीरो-डोज़ दर में आई गिरावट ने भारत को बच्चों के स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक मजबूत मुकाम पर लाकर खड़ा कर दिया है। अब चुनौती है इसे पूरी तरह खत्म करना, ताकि देश का भविष्य पूरी तरह सुरक्षित हो सके।


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Author: Nation TV

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