नई दिल्ली, 30 जून- पूर्व आईपीएल चेयरमैन ललित मोदी को सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। अदालत ने उनकी वह याचिका खारिज कर दी जिसमें उन्होंने मांग की थी कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) उनके ऊपर लगे ₹10.65 करोड़ के फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (FEMA) जुर्माने का भुगतान करे। कोर्ट ने इस याचिका को ‘बेबुनियाद और गलत मंच पर दायर’ बताया।
सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ?
सुप्रीम कोर्ट की पीठ, जिसमें जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस आर महादेवन शामिल थे, ने ललित मोदी की इस मांग पर सुनवाई की। कोर्ट ने साफ कहा कि BCCI कोई ऐसा दायित्व नहीं निभा सकता कि वह मोदी के ऊपर लगे ईडी के जुर्माने का भुगतान करे।
कोर्ट ने कहा,
“अगर ललित मोदी को लगता है कि उनके सिविल अधिकारों का उल्लंघन हुआ है, तो उन्हें इसके लिए सिविल कोर्ट का दरवाजा खटखटाना चाहिए। हाईकोर्ट में रिट याचिका दाखिल करने का यह मामला नहीं था।”
क्यों लगा मोदी पर ₹10.65 करोड़ का जुर्माना?
- मामला 2009 के आईपीएल सीजन का है, जब ललित मोदी आईपीएल कमिश्नर थे।
- उस समय लीग का आयोजन दक्षिण अफ्रीका में किया गया था।
- प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने जांच में पाया कि विदेशी मुद्रा नियमों का उल्लंघन हुआ, जिससे देश को आर्थिक नुकसान हुआ।
- इसी आधार पर ED ने मोदी पर ₹10.65 करोड़ का जुर्माना लगाया था।
- इसके बाद मोदी ने मांग की कि BCCI उनके ऊपर लगे इस जुर्माने का भुगतान करे, क्योंकि उन्होंने ये सभी काम बोर्ड के आधिकारिक पद पर रहते हुए किए थे।
हाईकोर्ट ने भी याचिका खारिज की थी
इससे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी दिसंबर 2024 में मोदी की इसी मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया था।
हाईकोर्ट ने इसे ‘गैर-जरूरी और भ्रामक याचिका’ मानते हुए मोदी पर ₹1 लाख का अतिरिक्त जुर्माना भी लगाया था।
हाईकोर्ट ने कहा था कि BCCI को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 12 के तहत ‘राज्य’ नहीं माना जा सकता, इसलिए उस पर रिट याचिका दायर नहीं की जा सकती।
BCCI पर क्यों नहीं जिम्मेदारी?
ललित मोदी ने अपने पक्ष में BCCI के नियम 34 का हवाला दिया था, जिसमें कहा गया है कि BCCI अपने पदाधिकारियों को उनके आधिकारिक कार्यों में हुए नुकसान या कार्रवाई के लिए सुरक्षा प्रदान करेगा।
लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि मोदी ने जो कार्य किए, वे व्यक्तिगत रूप से उनके लिए जिम्मेदारी बने। इसलिए BCCI को किसी तरह की भरपाई करने की जरूरत नहीं है।
अब मोदी के पास क्या विकल्प?
सुप्रीम कोर्ट ने मोदी को सलाह दी कि अगर उन्हें लगता है कि BCCI को यह राशि देनी चाहिए, तो वे सिविल कोर्ट में जाकर मामला दायर कर सकते हैं।
यानी इस मुद्दे पर अब कोई रिट याचिका हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में नहीं चलाई जा सकती। मोदी को सामान्य अदालत की प्रक्रिया अपनानी होगी।
क्यों अहम है यह मामला?
- यह मामला दिखाता है कि कोई भी खेल संस्था जब तक संविधान की परिभाषा में ‘राज्य’ के दायरे में नहीं आती, तब तक उस पर रिट नहीं चल सकती।
- BCCI को पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने सार्वजनिक प्राधिकरण नहीं माना था।
- साथ ही यह फैसला ललित मोदी के लिए व्यक्तिगत झटका है, जो पहले ही भारत से बाहर लंदन में रह रहे हैं और कई मामलों में जांच का सामना कर रहे हैं।
अब मोदी के पास सिर्फ यही रास्ता बचा है कि वह सिविल कोर्ट में मुकदमा करें और वहां अपने हक के लिए दलीलें पेश करें।
इस तरह कोर्ट ने साफ संदेश दिया है कि BCCI को किसी भी कीमत पर यह भुगतान करने की बाध्यता नहीं है।


