आज की डिजिटल दुनिया में जब व्हाट्सएप, ई-मेल और सोशल मीडिया के जरिए चंद सेकंड में संदेश भेजे जाते हैं, तब पोस्ट कार्ड शायद आपको पुरानी चीज लगे। लेकिन एक समय था जब पोस्ट कार्ड ही लोगों को जोड़े रखने का सबसे भरोसेमंद माध्यम था।
भारत में पोस्ट कार्ड ने न सिर्फ डाक व्यवस्था को सस्ता और सरल बनाया, बल्कि करोड़ों लोगों को पत्राचार का मौका दिया। आइए जानें, भारत में पोस्ट कार्ड की शुरुआत कब और कैसे हुई और इसने हमारे समाज में क्या बदलाव लाए।
पोस्ट कार्ड क्या होता है?
पोस्ट कार्ड एक साधारण कागज़ का टुकड़ा होता है जिस पर बिना लिफ़ाफे के ही संदेश लिखा जाता है। इसे आसानी से डाक द्वारा भेजा जा सकता है।
- पोस्ट कार्ड के आगे की ओर प्रेषक का पता और डाक टिकट लगता है।
- पीछे की तरफ संदेश लिखा जाता है।
- इसकी सबसे बड़ी खासियत थी – कम खर्च में संदेश भेजना।
भारत में पोस्ट कार्ड की शुरुआत कब हुई?
भारत में पोस्ट कार्ड की शुरुआत 1 जुलाई 1879 को हुई।
उस समय भारत ब्रिटिश शासन के अधीन था और डाक व्यवस्था अंग्रेजों के अधीन थी। डाक विभाग ने जब पोस्ट कार्ड की शुरुआत की, तब इसकी कीमत रखी गई — आधा आना (यानि 1/32 रुपया)।
यह आम जनता के लिए बहुत सस्ता और सुविधाजनक माध्यम बन गया। लोग बड़े चाव से पोस्ट कार्ड के जरिए अपने रिश्तेदारों, दोस्तों और व्यापारिक साझेदारों से संपर्क रखने लगे।
पोस्ट कार्ड से पहले कैसी थी डाक व्यवस्था?
पोस्ट कार्ड के आने से पहले लोग पत्रों को लिफ़ाफों में भेजते थे।
- उस समय डाक शुल्क (पोस्टल रेट) बहुत ज्यादा हुआ करता था।
- आम लोग कई बार महंगे डाक खर्च से बचने के लिए पत्रों को ज़रूरी न समझकर रोक लेते थे।
- व्यापारी वर्ग या ऊँची जातियों तक ही ज्यादा पत्राचार सीमित था।
लेकिन पोस्ट कार्ड ने इस स्थिति को पूरी तरह बदल दिया।
पोस्ट कार्ड का डिजाइन और प्रारंभिक रूप
1879 में जब भारत में पोस्ट कार्ड की शुरुआत हुई, तब यह बहुत साधारण सा दिखता था।
- यह हल्के पीले रंग का कार्ड हुआ करता था।
- दाईं ओर ऊपर ब्रिटिश सम्राट का मोनोग्राम या प्रतीक चिह्न मुद्रित रहता था।
- सामने के हिस्से में केवल पते के लिए जगह होती थी, और पीछे संदेश लिखा जाता था।
धीरे-धीरे इसमें भी बदलाव हुए। स्वतंत्रता के बाद इसमें भारत सरकार का अशोक स्तंभ अंकित किया जाने लगा।
पोस्ट कार्ड का लोकप्रिय होना
पोस्ट कार्ड ने भारत में एक तरह से संचार क्रांति ला दी।
- जो लोग कभी पत्र नहीं भेज पाते थे, उन्होंने पोस्ट कार्ड के जरिए अपनों से बात करना शुरू किया।
- व्यापारी वर्ग ने इसे बकाया राशि की याद दिलाने, ऑर्डर देने या व्यावसायिक सूचनाओं के लिए खूब इस्तेमाल किया।
- शादी-ब्याह, जन्म-मृत्यु की खबरें भी पोस्ट कार्ड से दी जाने लगीं।
- गांवों में लोग इसे पढ़ने के लिए गांव के पढ़े-लिखे लोगों की मदद लेते थे।
इस तरह पोस्ट कार्ड ने सामाजिक और व्यावसायिक संबंधों को और मजबूत किया।
पोस्ट कार्ड की किस्में
भारत में पोस्ट कार्ड की लोकप्रियता बढ़ने के बाद डाक विभाग ने समय के साथ इसमें कई तरह के बदलाव किए।
1️⃣ साधारण पोस्ट कार्ड
- सबसे सस्ता और सामान्य रूप।
- व्यक्तिगत संदेशों के लिए उपयुक्त।
- इसकी कीमत 50 पैसे (हाल के वर्षों तक) रही।
2️⃣ उत्तर-पत्र कार्ड (Reply Post Card)
- इसमें दो जुड़े हुए पोस्ट कार्ड होते थे।
- एक भेजने वाला भेजता और दूसरा प्राप्तकर्ता उसी में जवाब लिखकर वापस भेज सकता था।
- यह व्यापारी वर्ग में खूब प्रचलित हुआ।
3-मेहराबदार या चित्रयुक्त पोस्ट कार्ड
- इन पर चित्र, सरकारी प्रचार, पर्यटन स्थलों की तस्वीरें आदि छपती थीं।
- ये संग्रहणीय वस्तु भी बन जाती थीं।
पोस्ट कार्ड ने समाज को कैसे बदला?
पोस्ट कार्ड ने भारतीय समाज में कई अहम बदलाव किए:
✅ शिक्षा को बढ़ावा:
लोग पत्र पढ़ने और लिखने के लिए प्रेरित हुए। इससे साक्षरता में भी वृद्धि हुई।
✅ भावनात्मक रिश्ता:
पोस्ट कार्ड पर लिखे छोटे-छोटे संदेश भी दिलों को जोड़ देते थे। लोग इन्हें संभालकर रखते थे।
✅ व्यापार का विस्तार:
बाजार में ऑर्डर, बकाया बिल की सूचना आदि पोस्ट कार्ड से आसानी से भेजी जाने लगीं।
✅ सरकारी प्रचार:
डाक विभाग ने कई बार पोस्ट कार्डों पर स्वास्थ्य, स्वच्छता, परिवार नियोजन आदि के संदेश भी छापे।
डिजिटल युग में पोस्ट कार्ड की हालत
आज मोबाइल, ई-मेल और सोशल मीडिया के दौर में पोस्ट कार्ड लगभग विलुप्त हो चुका है।
- लोग अब फौरन मैसेज या वीडियो कॉल कर लेते हैं।
- पर पुराने जमाने में पोस्ट कार्ड का इंतजार करना, उसे पढ़कर आंखों में आंसू या खुशी आना — ये सब एक खास एहसास था।
अब भी कुछ लोग भावनात्मक या शौक के लिए पोस्ट कार्ड भेजते हैं।
1 जुलाई 1879 को जब भारत में पोस्ट कार्ड की शुरुआत हुई थी, तब किसी ने नहीं सोचा था कि यह साधारण सा कार्ड करोड़ों लोगों की ज़िंदगी का हिस्सा बन जाएगा।
पोस्ट कार्ड ने न सिर्फ पत्राचार को सरल बनाया बल्कि लोगों को भावनात्मक रूप से भी जोड़ा।
आज भी डाक विभाग पोस्ट कार्ड चलाता है, हालांकि अब उनका उपयोग बहुत कम हो गया है। लेकिन पोस्ट कार्ड भारतीय डाक इतिहास में हमेशा एक स्वर्णिम अध्याय की तरह दर्ज रहेगा।
अगर कभी आपको मौका मिले, तो पुराने डाकघरों या अपनी दादी-नानी की संदूकों में देखिए — हो सकता है कोई पुराना पोस्ट कार्ड मिल जाए जिसमें लिखे दो-चार शब्द आज भी आपकी आंखें नम कर दें।


