नई दिल्ली: नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने भारतीय विमानन कंपनियों के लिए एक बड़ा आदेश जारी किया है। डीजीसीए ने देश में पंजीकृत सभी विमानों के इंजन फ्यूल स्विच की अनिवार्य जांच करने के निर्देश दिए हैं। संभवतः यह कदम हाल ही में अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया के विमान हादसे की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद उठाया गया है। सभी एयरलाइन कंपनियों को यह जांच 21 जुलाई 2025 तक पूरी करनी होगी।
अहमदाबाद से लंदन जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट 171, जो कि एक बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान था, 12 जून 2025 को उड़ान भरने के तुरंत बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस हादसे में सवार एक को छोड़कर सभी यात्रियों और चालक दल के सदस्यों की दुखद मौत हो गई थी, साथ ही जमीन पर भी कई लोग हताहत हुए थे। इस घटना की जांच विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (एएआईबी) द्वारा की जा रही है।
एएआईबी की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में इंजन फ्यूल स्विच में संभावित समस्या की ओर इशारा किया गया था। इसी को ध्यान में रखते हुए डीजीसीए ने यह कठोर कदम उठाया है। डीजीसीए ने सभी एयरलाइन कंपनियों को साफ तौर पर निर्देश दिया है कि वे अपने सभी विमानों के इंजन फ्यूल स्विच की गहन जांच करें और यह सुनिश्चित करें कि वे सही तरीके से काम कर रहे हैं।
डीजीसीए ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह जांच स्टेट ऑफ डिजाइन/मैन्युफैक्चर द्वारा जारी किए गए एयरवर्थनेस डायरेक्टिव्स के आधार पर जरूरी की गई है। यह नियम भारत में रजिस्टर्ड सभी विमानों, इंजनों और कंपोनेंट्स पर लागू होगा। इस आदेश के तहत, एयरलाइन कंपनियों को अपने सभी प्रभावित विमानों में एसएआईबी नंबर: एनएम-18-33, दिनांक 17 दिसंबर 2018 के तहत आवश्यक निरीक्षण 21 जुलाई 2025 तक पूरा करना होगा।
दरअसल, पिछले महीने हुए एयर इंडिया के विमान हादसे की जांच में शुरुआती रिपोर्ट आने के बाद दुनिया भर की प्रमुख एयरलाइन कंपनियों ने अपने बोइंग 787 विमानों के फ्यूल स्विच में लॉकिंग मैकेनिज्म की जांच पहले ही शुरू कर दी थी। डीजीसीए का यह आदेश इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, ताकि भारतीय विमानों में भी सुरक्षा मानकों को सुनिश्चित किया जा सके।
डीजीसीए ने सभी एयरलाइन ऑपरेटरों को यह भी निर्देश दिया है कि वे निरीक्षण योजना और निरीक्षण पूरा होने के बाद उसकी रिपोर्ट अपने संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को सूचित करते हुए डीजीसीए के कार्यालय में जमा करें। इस प्रक्रिया से डीजीसीए को यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि सभी एयरलाइन कंपनियों ने निर्देशों का पालन किया है और विमानों में कोई भी तकनीकी खामी नहीं है।


