नई दिल्ली, 13 अगस्त 2025: दिल्ली-एनसीआर समेत देश भर में इंसानों और आवारा कुत्तों के बीच बढ़ते टकराव के गंभीर मामले पर सुप्रीम कोर्ट में कल, यानी गुरुवार, 14 अगस्त को एक महत्वपूर्ण सुनवाई होगी। इस मामले की जटिलता और राष्ट्रीय महत्व को देखते हुए अब इसकी सुनवाई तीन न्यायाधीशों की एक विशेष पीठ करेगी। इस सुनवाई से यह उम्मीद की जा रही है कि अदालत आवारा कुत्तों के प्रबंधन, उन्हें खाना खिलाने और नागरिकों की सुरक्षा को लेकर एक स्पष्ट और व्यापक दिशा-निर्देश जारी कर सकती है।
मामले की पृष्ठभूमि और प्रमुख विवाद
यह मामला मूल रूप से केरल में आवारा कुत्तों के हमलों से जुड़ी याचिकाओं से शुरू हुआ था, लेकिन जल्द ही इसका दायरा दिल्ली-एनसीआर समेत पूरे देश तक फैल गया। इस मामले में दो प्रमुख पक्ष आमने-सामने हैं:
- नागरिकों की सुरक्षा: याचिकाकर्ताओं और कई रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (RWA) का तर्क है कि सार्वजनिक स्थानों पर आवारा कुत्तों को खाना खिलाने से उनकी संख्या बढ़ती है और वे आक्रामक हो जाते हैं। इससे बच्चों, बुजुर्गों और आम राहगीरों पर हमलों का खतरा बढ़ गया है, जो नागरिकों के जीवन और सुरक्षा के अधिकार का हनन है।
- पशु अधिकार और ABC नियम: वहीं, पशु अधिकार कार्यकर्ताओं और एनिमल लवर्स का कहना है कि कुत्ते भी उस समाज का हिस्सा हैं और उन्हें खाना खिलाना क्रूरता नहीं, बल्कि दया का कार्य है। वे पशु क्रूरता निवारण अधिनियम और एनिमल बर्थ कंट्रोल (ABC) नियम, 2023 का हवाला देते हैं, जिसके अनुसार कुत्तों को नसबंदी और टीकाकरण के बाद उसी इलाके में वापस छोड़ा जाना चाहिए, न कि उन्हें स्थायी रूप से हटाया जाना चाहिए।
दिल्ली-एनसीआर पर क्यों है विशेष फोकस?
पिछली सुनवाइयों में, सुप्रीम कोर्ट की दो-सदस्यीय पीठ ने दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों की समस्या पर बेहद सख्त रुख अपनाया था। कोर्ट ने मौखिक रूप से दिल्ली नगर निगम (MCD) और अन्य संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया था कि वे सड़कों से सभी आवारा कुत्तों को हटाकर शेल्टर होम में रखें ताकि नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
इस निर्देश का पशु कल्याण बोर्ड और कार्यकर्ताओं ने कड़ा विरोध किया था, जिन्होंने इसे अव्यावहारिक और ABC नियमों के खिलाफ बताया था। इसी वैचारिक और कानूनी टकराव के कारण मामले को एक बड़ी, तीन-सदस्यीय पीठ के पास भेजा गया ताकि एक अंतिम और सर्वमान्य हल निकाला जा सके।
किन सवालों का जवाब तलाशेगी सुप्रीम कोर्ट?
कल होने वाली सुनवाई में तीन-न्यायाधीशों की पीठ इन मुख्य सवालों पर मंथन कर सकती है:
- क्या सार्वजनिक और रिहायशी इलाकों में आवारा कुत्तों को खाना खिलाने की अनुमति दी जानी चाहिए?
- क्या नगर निगमों का यह दायित्व है कि वे हर आवारा कुत्ते को सड़कों से हटाकर शेल्टर होम में रखें?
- नागरिकों के सुरक्षा के अधिकार और पशुओं के प्रति क्रूरता न करने के कानून के बीच संतुलन कैसे बनाया जाए?
- एनिमल बर्थ कंट्रोल (ABC) नियमों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए?
इस फैसले का असर सिर्फ दिल्ली-एनसीआर पर ही नहीं, बल्कि पूरे देश में आवारा कुत्तों के प्रबंधन की नीति पर पड़ेगा। सभी की निगाहें अब सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हैं, जो इंसान और जानवरों के इस संवेदनशील टकराव पर एक महत्वपूर्ण फैसला सुना सकती है।


